ट्रेन में नहीं मिलता रिजर्वेशन ,
बस में सीट मिलना है दुश्वार |
सड़क पर चहलकदमी आसान नहीं ,
बगीचे बनें जानवरों के आरामगाह |
टीवी देख -देख मन उकता गया ,
मन बाहर जानें को है बेकरार |
श्रीमानजी को मिलती नहीं छुट्टी ,
अब उनसे हो गई है हमारी कुट्टी |
आँखों में है पर्वतीय हरियाली के सपनें ,
मन है मायूस जाएँ तो जाएँ कहाँ|
शायद सारे जहां से सुंदर है ,
यही है मेरा अपना ख्वाबगाह|