तपती दोपहरी सूरज की अगन ,
नहीं करनें देती कुछ काम |
धरती पर हम आये हैं तो ,
मोजमस्ती में बीते हर शाम |
कल क्या होगा किसे खबर है ,
आज तो सोनें दो चादर तान |
गगनचुम्बी सतरंगी सपनें अपनें ,
हें चाँद-तारों से भी हसीन |
कहीं कहानियों मैं सुना है,
शायद सिनेमा में भी देखा है |
होता है एक जादुई चिराग,
काश मिल जाए अगर मुझे |
तो हो जाए मेरा भी उद्धार ,
अरज करूँ तुझसे है पालनहार |