Thursday 19 May 2011

ख्वाबगाह





    ट्रेन में नहीं मिलता रिजर्वेशन ,
            बस में सीट मिलना है दुश्वार |
    सड़क पर चहलकदमी आसान नहीं ,
           बगीचे बनें जानवरों के आरामगाह |
   टीवी देख -देख मन उकता गया ,
          मन बाहर जानें को है बेकरार |
   श्रीमानजी को मिलती नहीं छुट्टी ,
         अब उनसे हो गई है हमारी कुट्टी |
  आँखों में है पर्वतीय हरियाली के सपनें ,
        मन है मायूस जाएँ तो जाएँ कहाँ|
 शायद सारे जहां से सुंदर है  ,
    यही है मेरा अपना ख्वाबगाह|

Wednesday 4 May 2011

स्नेह की गरमाहट ( हेप्पी मदर्स डे )

बचपन से आज तक हर साल ,
           माँ आपको स्वेटर बुनते हुए देखा है |
लच्छी लपेटते अनवरत घूमते हाथ ,
           जैसे सुंदर सपनों को सहेज रहें हो |
सलाई पर तेजी से सरकते फंदे ,
           कन्धों से स्वेटर नापती उंगलियां |
चाहें छोटा बच्चा हो या बुजुर्गवार ,                           
           कोई अपना हो या फिर पराया |
 जानें कितनों नें पहनें होगें ,
          नाना प्रकार के वो सुंदर स्वेटर |
आँखों में संतोष भरी चमक ,
           अधरों पर स्नेह भरी मुस्कान |
सदा एहसास कराती है मुझे ,
           आपके प्यार की गरमाहट ही तो है |
जो गरम स्वेटर के रूप में ,
           सदा ठंड में सर्दी से बचाती है मुझे |

Monday 2 May 2011

आज का कल

  अलग -अलग रिश्तों से ,
                   जुड़ी  हुई भावनाएं विभिन्न |
कहीं शहद सा  माधुर्य है ,
                    कहीं विषाक्त होता मन |
  उन्मीलित हे प्रज्ञाचक्षु ,
                  आत्मा है मोह पाश में |
 सर्वत्र आडम्बर का डेरा है ,
                   सत्य जान कर भी हैं अनभिज्ञ |
ये कैसा चातुर्य है मानस का ,
                  कर देता अपनों को अपनों से दूर |
क्यों  सुषुप्त  हो गए जज्बात ,
                   रिश्तों में कैसा नफा -नुकसान |
   काश कभी सोच पाते इंसान ,
                    आज का भी कल भविष्य होगा |