बचपन से आज तक हर साल ,
माँ आपको स्वेटर बुनते हुए देखा है |
लच्छी लपेटते अनवरत घूमते हाथ ,
जैसे सुंदर सपनों को सहेज रहें हो |
सलाई पर तेजी से सरकते फंदे ,
कन्धों से स्वेटर नापती उंगलियां |
चाहें छोटा बच्चा हो या बुजुर्गवार ,
कोई अपना हो या फिर पराया |
जानें कितनों नें पहनें होगें ,
नाना प्रकार के वो सुंदर स्वेटर |
आँखों में संतोष भरी चमक ,
अधरों पर स्नेह भरी मुस्कान |
सदा एहसास कराती है मुझे ,
आपके प्यार की गरमाहट ही तो है |
जो गरम स्वेटर के रूप में ,
सदा ठंड में सर्दी से बचाती है मुझे |
माँ आपको स्वेटर बुनते हुए देखा है |
लच्छी लपेटते अनवरत घूमते हाथ ,
जैसे सुंदर सपनों को सहेज रहें हो |
सलाई पर तेजी से सरकते फंदे ,
कन्धों से स्वेटर नापती उंगलियां |
चाहें छोटा बच्चा हो या बुजुर्गवार ,
कोई अपना हो या फिर पराया |
जानें कितनों नें पहनें होगें ,
नाना प्रकार के वो सुंदर स्वेटर |
आँखों में संतोष भरी चमक ,
अधरों पर स्नेह भरी मुस्कान |
सदा एहसास कराती है मुझे ,
आपके प्यार की गरमाहट ही तो है |
जो गरम स्वेटर के रूप में ,
सदा ठंड में सर्दी से बचाती है मुझे |
बहुत सुन्दर कविता ! शायद इस स्वेटर में फंदों के साथ माँ का प्यार भी गुँथ जाता है और ऊन की गर्माहट के साथ माँ के प्यार की उष्मा उसे और गर्म और आरामदेह बना देती है ! सुन्दर रचना ! बधाई !
ReplyDeleteबहुत सुंदर शब्दों में व्यक्त की गयी भावनाएं |अच्छी रचना |बधाई |
ReplyDeleteआशा