Wednesday 9 March 2011

कभी  बादल बन ,विचरण करूँ  गगन में |
कभी फूल बन , महकती रहूँ बगिया  में |
कभी कोयल सी , कुहुकती फिरूं जंगल में|
कभी मोरनी बन ,नाचती रहूँ उपवन में |
कभी हिरनी बन , कुलाचे भरूं वन में | 
धानी चुनरी पहन ,लाली  को   बिंदिया बनालूं में  |  
मन करता है ,नजारों में कहीं खोजाऊँ में |

2 comments:

  1. सुन्दर भाव अच्छा शब्द चयन |भावपूर्ण रचना बधाई |
    आशा

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  2. उत्साह और उमंग से भरपूर मन को उल्लसित करती बेहतरीन रचना ! बहुत सुन्दर ! बधाई एवं शुभकामनायें !

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