कभी बादल बन ,विचरण करूँ गगन में |
कभी फूल बन , महकती रहूँ बगिया में |
कभी कोयल सी , कुहुकती फिरूं जंगल में|
कभी मोरनी बन ,नाचती रहूँ उपवन में |
कभी हिरनी बन , कुलाचे भरूं वन में |
धानी चुनरी पहन ,लाली को बिंदिया बनालूं में |
मन करता है ,नजारों में कहीं खोजाऊँ में |
कभी फूल बन , महकती रहूँ बगिया में |
कभी कोयल सी , कुहुकती फिरूं जंगल में|
कभी मोरनी बन ,नाचती रहूँ उपवन में |
कभी हिरनी बन , कुलाचे भरूं वन में |
धानी चुनरी पहन ,लाली को बिंदिया बनालूं में |
मन करता है ,नजारों में कहीं खोजाऊँ में |
सुन्दर भाव अच्छा शब्द चयन |भावपूर्ण रचना बधाई |
ReplyDeleteआशा
उत्साह और उमंग से भरपूर मन को उल्लसित करती बेहतरीन रचना ! बहुत सुन्दर ! बधाई एवं शुभकामनायें !
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