Sunday 13 March 2011

मुखोटे


हर व्यक्ति के हें दो-दो चेहरे  ,अंतस में कुछ तो बाहर ओर कुछ है  |
राग -द्वेष से आप्लावित  है दिलोदिमाग ,परन्तु  वाणी से स्नेह छलकता है|
दिन-रात पापकर्म मैं लिप्त है ; लेकिन सबसे बड़ा धर्मात्मा कहलाता है|
असत्य  मार्ग  से परिपूर्ण है जीवन ,पर ओरों को सत्य की राह दिखलाता है
सच बात कहती हूँ इंसान भी ,गिरगिट की तरह रंग बदलता है |
  जिसने भी मुखोटा नहीं चढाया दुनिया मैं , आज वो ही  पागल कहलाया है|

2 comments:

  1. हर व्यक्ति का दोहरा व्यक्तित्व होता है बहुत सही लिखा है |बहुत बहुत बधाई| अच्छी रचना |
    आशा

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  2. दोहरे चरित्र वाले लोगों के मुखौटे उतारती बहुत अच्छी एक सार्थक अभिव्यक्ति ! बधाई एवं शुभकामनायें !

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