जन्म लेते ही हम से जुड़ जाते हैं अनेकानेक रिश्ते ,
बचपन में तो अनजानी सी थी रिश्तों की ये पहेली |
बड़े होने पर ही जाना बड़ी कठिन होती हे ये गुत्थी,
कुछ जाने ओर कुछ अनजाने से ये जीवन के रिश्ते |
भांति-भांति के लोग़ और उनकी अलग -अलग विचारधारा,
नाना-नाना प्रकार की अपेक्षाए और विविध है जीवनशैली|
बहुत आसान नहीं है ,सभी को प्रसन्न और संतुष्ट रखना|
रिश्तों के समुद्र की, जो गहराई नाप सके |
वो जिंदगी रूपी सीप से ,स्नेहरुपी मोती ढूंड पाता है|
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बचपन में तो अनजानी सी थी रिश्तों की ये पहेली |
बड़े होने पर ही जाना बड़ी कठिन होती हे ये गुत्थी,
कुछ जाने ओर कुछ अनजाने से ये जीवन के रिश्ते |
भांति-भांति के लोग़ और उनकी अलग -अलग विचारधारा,
नाना-नाना प्रकार की अपेक्षाए और विविध है जीवनशैली|
बहुत आसान नहीं है ,सभी को प्रसन्न और संतुष्ट रखना|
रिश्तों के समुद्र की, जो गहराई नाप सके |
वो जिंदगी रूपी सीप से ,स्नेहरुपी मोती ढूंड पाता है|
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बेहद सुन्दर भाव और मन भावन कविता| बहुत २ बधाई |
ReplyDeleteआशा
सुन्दर भाव ! जो रिश्तों का मान करना जानते हैं स्नेह के मोतियों से उन्हीं का दामन भर जाता है ! सुन्दर रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !
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