Saturday 12 March 2011

सच्चे मोती

जन्म लेते ही हम से जुड़ जाते हैं अनेकानेक रिश्ते ,
बचपन में तो अनजानी सी थी रिश्तों की ये पहेली |
बड़े होने पर ही जाना  बड़ी कठिन होती हे ये गुत्थी,
कुछ जाने ओर कुछ  अनजाने से ये  जीवन के रिश्ते |
भांति-भांति के लोग़ और उनकी अलग -अलग  विचारधारा,
नाना-नाना प्रकार की अपेक्षाए और विविध है जीवनशैली|
बहुत आसान  नहीं है ,सभी को प्रसन्न और संतुष्ट रखना|
रिश्तों  के समुद्र की, जो गहराई नाप सके |
वो जिंदगी रूपी सीप से ,स्नेहरुपी मोती ढूंड पाता है|



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2 comments:

  1. बेहद सुन्दर भाव और मन भावन कविता| बहुत २ बधाई |
    आशा

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  2. सुन्दर भाव ! जो रिश्तों का मान करना जानते हैं स्नेह के मोतियों से उन्हीं का दामन भर जाता है ! सुन्दर रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !

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