Saturday 19 March 2011

शब्द बाण

ह्रदय में उठ रही है टीस,
वेदना से भर गया मानस| 

विषाक्त वाणी और अहंकार नें ,
अपनी मर्यादाओं को लांघा है |
शब्दों के बाण असहनीय होते हैं ,
आज अन्तरात्मा नें जानां है |

2 comments:

  1. सच में शब्दों के बाण बहुत गहरे घाव कर जाते हैं जो किसी मरहम से नहीं भरते ! बहुत संवेदनशील पंक्तियाँ ! बहुत ही सुंदर ! होली की हार्दिक शुभकामनायें !

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  2. बहुत सुन्दर भाव |
    आशा

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